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US Economy: अमेरिका के दरवाजे पर मंदी की दस्तक, 2008 की आर्थिक सुनामी से भी बदतर स्थिति

US Economy: अमेरिका की कंपनियां भी इस बढ़ते कर्ज के कारण काफी दबाव में हैं। ब्याज दरों में लगातार वृद्धि के चलते कंपनियों को अपने ऋणों पर ब्याज भुगतान में काफी कठिनाई हो रही है। 2003 के बाद से ब्याज भुगतान का स्तर अब उच्चतम रिकॉर्ड पर पहुंच चुका है।
 
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Delhi Highlights, नई दिल्ली: अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर लगातार बढ़ता कर्ज अब एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है। वर्तमान में देश पर 35.7 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज है जो उसकी अर्थव्यवस्था के कुल मूल्य का लगभग 125 प्रतिशत है। यह आंकड़ा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि साल 2000 में अमेरिका पर मात्र 5.7 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज था जो 2010 में बढ़कर 12.3 ट्रिलियन डॉलर हो गया और 2020 में यह आंकड़ा 23.2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

अमेरिकी कांग्रेस के बजट दस्तावेजों के अनुसार अगले दशक तक राष्ट्रीय ऋण 54 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। सिर्फ पिछले तीन सालों में ही देश का कर्ज दस ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा बढ़ चुका है। मौजूदा स्थिति इतनी गंभीर है कि अमेरिका को हर दिन केवल ब्याज चुकाने के लिए 1.8 अरब डॉलर खर्च करने पड़ रहे हैं। यह रकम सरकार के वार्षिक बजट में भी एक बड़ी भूमिका निभाती है।

ब्याज दरों का बढ़ता बोझ

अमेरिका की कंपनियां भी इस बढ़ते कर्ज के कारण काफी दबाव में हैं। ब्याज दरों में लगातार वृद्धि के चलते कंपनियों को अपने ऋणों पर ब्याज भुगतान में काफी कठिनाई हो रही है। 2003 के बाद से ब्याज भुगतान का स्तर अब उच्चतम रिकॉर्ड पर पहुंच चुका है। विशेष रूप से छोटी और मध्यम कंपनियां इस वित्तीय दबाव का सामना कर रही हैं।

2024 में अब तक 512 बड़ी कंपनियां दिवालिया हो चुकी हैं जो 2020 के कोरोना काल की तुलना में केवल छह कम है। कोरोना काल को छोड़ दें तो यह पिछले 14 वर्षों में सबसे बड़ी संख्या है। पिछले महीने सितंबर में 59 कंपनियों ने दिवालियापन के लिए आवेदन किया जबकि अगस्त में यह आंकड़ा 63 कंपनियों का था। इनमें से उपभोक्ता क्षेत्र की 81 कंपनियां औद्योगिक क्षेत्र की 60 और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की 48 कंपनियां इस साल दिवालिया हो चुकी हैं।

अमेरिकी आर्थिक मंदी का वैश्विक असर

अमेरिका में आर्थिक मंदी की आशंकाएं गहराती जा रही हैं जो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी असर डाल सकती हैं। देश के रसेल 2000 इंडेक्स में शामिल 43 प्रतिशत कंपनियों ने इस साल घाटा दर्ज किया है जो 2020 के बाद से सबसे अधिक है। यह आंकड़ा 2008 के वित्तीय संकट के दौरान 41 प्रतिशत पर था। छोटी कंपनियों की यह हालत अमेरिका की समग्र अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है क्योंकि ये कंपनियां देश के उत्पादन और रोजगार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह स्थिति जल्द ही नियंत्रित नहीं होती तो यह अन्य प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को भी प्रभावित कर सकती है। अमेरिका की आर्थिक स्थिति का सीधा प्रभाव अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर पड़ता है और वहां की आर्थिक समस्याएं अन्य देशों की आर्थिक वृद्धि को भी धीमा कर सकती हैं।