Employee Salary : उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का बड़ा ऐलान, इन कर्मचारियों को नहीं मिलेगी इस महीने की सैलरी, जानें अपडेट

Delhi highlights, पटना : उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए योगी आदित्यनाथ (yogi adityanath) सरकार का नया आदेश एक चेतावनी है। सरकार ने 13 लाख से ज्यादा कर्मचारियों (13 lakh employees) को 31 अगस्त तक अपनी संपत्तियों की जानकारी सरकारी पोर्टल 'मानव संपदा' पर देने के लिए कहा है। अगर कर्मचारी इस निर्देश का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें अगस्त महीने की सैलरी नहीं मिलेगी और उनके प्रमोशन पर भी असर पड़ेगा।
यह भी पढ़ें : त्योहारी सीजन में कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, मोदी सरकार देगी बड़ा तोहफा, जानें अपडेट
योगी सरकार के आदेश का पालन नहीं किया तो सैलरी पर लगेगा प्रतिबंध
उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) ने सभी कर्मचारियों को अपनी चल और अचल संपत्तियों की जानकारी पोर्टल 'मानव संपदा' पर देने के लिए कहा है। यह निर्देश अगस्त 2023 में जारी किया गया था और समय सीमा पहले 31 दिसंबर थी। हालांकि समय सीमा को कई बार बढ़ाया गया जिसमें आखिरी बार इसे 31 अगस्त 2024 तक बढ़ाया गया। अब तक केवल 26% सरकारी कर्मचारियों ने अपनी संपत्तियों की जानकारी दी है। अगर बाकी कर्मचारियों ने यह जानकारी नहीं दी तो उन्हें अगस्त महीने की सैलरी नहीं मिलेगी और उनके प्रमोशन (Promotion of employees in UP) पर भी असर पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश में कुल 17 लाख 88 हजार 429 सरकारी कर्मचारी हैं जिनमें से 13 लाख से ज्यादा कर्मचारियों ने अब तक अपनी संपत्तियों का विवरण नहीं दिया है। यह स्थिति सरकार के लिए चिंताजनक है क्योंकि इससे पारदर्शिता और जवाबदेही पर असर पड़ सकता है।
सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने का प्रयास
योगी आदित्यनाथ सरकार का यह कदम सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है। उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने साफ कर दिया है कि सिर्फ वे कर्मचारी जिन्होंने 31 अगस्त तक अपनी संपत्तियों की जानकारी दी है उन्हें ही अगस्त महीने की सैलरी मिलेगी। बाकी कर्मचारियों का वेतन रोक दिया जाएगा।
यह भी पढ़ें : केंद्रीय कर्मचारियों की चमकी किस्मत! DA बढ़ोतरी पर मिली खुशखबरी
सरकार के इस कदम को सरकार के मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने भी समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि यह कदम सरकार में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए उठाया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति रखती है।
विपक्ष ने उठाए सवाल
इस फैसले को लेकर विपक्ष ने सरकार की आलोचना की है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अशुतोष वर्मा ने इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले क्यों नहीं लागू किया गया? उन्होंने कहा कि कई बार समय सीमा बढ़ाने से यह साफ हो जाता है कि सरकार अपने आदेश को लागू करने में विफल रही है।
वर्मा ने यह भी कहा कि अब सरकार को एहसास हो गया है कि उनके कर्मचारी भ्रष्ट हैं इसलिए यह कदम उठाया जा रहा है। विपक्ष का मानना है कि इस आदेश को लागू करने के लिए सरकार को पहले से ही सख्त होना चाहिए था ताकि सभी कर्मचारी समय पर अपनी संपत्तियों की जानकारी दे सकें।
यह भी पढ़ें : देश की इस मंडी में 24800 रुपये क्विंटल पहुंचा प्याज का भाव, जानिए आपके शहर में क्या हैं ताज़ा रेट ?
प्रमोशन और सैलरी दोनों पर असर
उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश का असर सिर्फ सैलरी पर ही नहीं बल्कि प्रमोशन पर भी पड़ सकता है। जो कर्मचारी अपनी संपत्तियों की जानकारी नहीं देंगे उन्हें प्रमोशन की लिस्ट में नहीं माना जाएगा। यह आदेश कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव एम देवराज ने सभी अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों, विभाग प्रमुखों और ऑफिस हेड को भेजा है।
सरकारी कर्मचारियों के लिए यह आदेश एक चेतावनी है। अगर वे समय पर अपनी संपत्तियों की जानकारी नहीं देते हैं तो न केवल उनकी सैलरी रुक जाएगी बल्कि प्रमोशन पर भी असर पड़ेगा। सरकार का यह कदम सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने के लिए उठाया गया है लेकिन इसे लागू करने में सरकार को भी सख्ती दिखानी होगी।