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किसानों के लिए सुनहरा अवसर, गेहूं की इस नई किस्मों से होगा उत्पादन में इज़ाफ़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) में 109 फसल किस्मों का विमोचन किया। इनमें गेहूं की दो महत्वपूर्ण नई किस्में HI 1665 और HI 8840 भी शामिल हैं जिन्हें ICAR इंदौर द्वारा विकसित किया गया है।
 
Prime Minister Narendra Modi

Delhi highlights, नई दिल्ली : भारत में गेहूं का उत्पादन (Wheat Production) एक प्रमुख कृषि गतिविधि है लेकिन पिछले दो वर्षों में गिरते उत्पादन ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। जलवायु परिवर्तन (Climate change) बेमौसम बारिश और अत्यधिक गर्मी जैसे कारकों ने गेहूं की फसल (Wheat crop) पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है जिससे उत्पादन में कमी आई है। इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए वैज्ञानिक और कृषि विशेषज्ञ (Agricultural experts) लगातार प्रयास कर रहे हैं। वे ऐसी नई गेहूं की किस्में विकसित करने में लगे हुए हैं जो जलवायु परिवर्तन के अनुकूल हों और किसानों को अधिक उपज दे सकें।

गेहूं की नई किस्में

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) में 109 फसल किस्मों का विमोचन किया। इनमें गेहूं की दो महत्वपूर्ण नई किस्में HI 1665 और HI 8840 भी शामिल हैं जिन्हें ICAR इंदौर द्वारा विकसित किया गया है। इन नई किस्मों का उद्देश्य किसानों को बदलते मौसम और जलवायु परिस्थितियों में भी अधिक उपज प्रदान करना है।

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HI 1665 किस्म को विशेष रूप से बिहार गुजरात उत्तर प्रदेश पूर्वी राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसानों के लिए विकसित किया गया है। यह किस्म शरबती गेहूं की HI 1531 (हर्षिता) और HI 1544 (पूर्णा) के पार करके बनाई गई है। यह एक रसदार और अधिक उपज देने वाली किस्म है जिसकी खेती से किसान प्रति हेक्टेयर 35 से 40 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। यदि इसे सही मिट्टी और अनुकूल वातावरण में उगाया जाए तो उपज और भी अधिक बढ़ सकती है जिससे प्रति हेक्टेयर 10 क्विंटल तक की अतिरिक्त उपज हो सकती है।

इस किस्म की खेती के लिए सही समय पर बुआई और सिंचाई करना आवश्यक है। इसे पकने में 110 से 115 दिन लगते हैं और पौधे की ऊंचाई लगभग 85 से 90 सेमी तक होती है। यह किस्म कम सिंचाई में भी बेहतर उपज देती है जो इसे जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों के बावजूद टिकाऊ बनाती है।

HI 8840 किस्म भी ICAR इंदौर द्वारा विकसित की गई है और इसे भी जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने के उद्देश्य से पेश किया गया है। यह किस्म किसानों को अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता प्रदान करने में सक्षम है। इसे भी किसानों के बीच अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है खासकर उन क्षेत्रों में जहां मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।

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नए प्रयासों से किसानों को कैसे लाभ होगा?

सरकार और कृषि वैज्ञानिकों के इन प्रयासों से किसानों को कई प्रकार के लाभ मिलेंगे। नई गेहूं किस्मों के विकास से न केवल उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में भी मदद मिलेगी। ये किस्में कम पानी में भी अच्छी उपज देने में सक्षम हैं जो उन क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जहां सिंचाई की सुविधा सीमित है।

इसके अलावा इन नई किस्मों की बुआई से किसानों की आय में भी बढ़ोतरी हो सकती है। अधिक उत्पादन का मतलब है कि किसानों को उनकी मेहनत का अधिक मुआवजा मिलेगा। साथ ही इन किस्मों की मांग बाजार में बढ़ने से किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य भी प्राप्त हो सकता है।

सरकार और ICAR की पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इन नई किस्मों का विमोचन करना सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है जो वह कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए कर रही है। ICAR इंदौर द्वारा विकसित की गई ये किस्में भारत के कृषि क्षेत्र में मील का पत्थर हैं।

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सरकार के इन प्रयासों से यह भी साफ है कि वह देश के किसानों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए तत्पर है। नई किस्मों की बढ़ती मांग से यह स्पष्ट है कि किसान इनका स्वागत कर रहे हैं और इन्हें अपनाकर वे अपनी उपज और आय दोनों में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं।