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सिरसा के इस में गोबिंद कांडा का भारी विरोध, बिना जनसंपर्क किए लौटना पड़ा वापिस

शनिवार शाम करीब 7 बजे गोबिंद कांडा नरायण खेड़ा गांव में वोट के लिए प्रचार करने पहुंचे थे। जैसे ही वे जनसंपर्क करने लगे लगभग 20 ग्रामीणों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। ग्रामीणों ने उनसे सीधे सवाल किया कि वे सिर्फ चुनावों के समय ही गांव में क्यों आते हैं जबकि बाकी समय में गांव की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।
 
Govind Kanda

Delhi highlights, चंडीगढ़ : गांव नरायण खेड़ा में शनिवार शाम को एक अप्रत्याशित घटना सामने आई जब सिरसा विधानसभा क्षेत्र के वरिष्ठ भाजपा नेता गोबिंद कांडा को ग्रामीणों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। यह घटना तब हुई जब गोबिंद कांडा अपने राजनीतिक प्रचार अभियान के तहत गांव में जनसंपर्क के लिए पहुंचे थे। ग्रामीणों ने नेता से सवाल पूछते हुए और उनकी उपेक्षा के खिलाफ अपनी नाराजगी जताते हुए उन्हें वापस लौटने पर मजबूर कर दिया।

ग्रामीणों ने गोबिंद कांडा के सामने कई समस्याओं को उठाया जो वर्षों से गांव को प्रभावित कर रही हैं। इनमें मुख्य रूप से फसलों की बर्बादी गांव में बढ़ती लड़ाइयां नशे के कारण होने वाली मौतें और पानी की किल्लत जैसी गंभीर समस्याएं शामिल हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि इन मुद्दों को हल करने के लिए उन्होंने कई बार धरने दिए लेकिन किसी भी नेता या सरकार ने उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। यह गुस्सा और नाराजगी तब और बढ़ गई जब गोबिंद कांडा चुनाव प्रचार के लिए गांव पहुंचे जबकि उन्होंने गांव की समस्याओं पर कभी ध्यान नहीं दिया।

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शनिवार शाम करीब 7 बजे गोबिंद कांडा नरायण खेड़ा गांव में वोट के लिए प्रचार करने पहुंचे थे। जैसे ही वे जनसंपर्क करने लगे लगभग 20 ग्रामीणों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। ग्रामीणों ने उनसे सीधे सवाल किया कि वे सिर्फ चुनावों के समय ही गांव में क्यों आते हैं जबकि बाकी समय में गांव की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।

यह घटना न केवल गोबिंद कांडा बल्कि उन सभी नेताओं के लिए एक संदेश है जो केवल चुनावों के समय में जनता से संपर्क करते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि नेता चुनावों के दौरान ही गांव का दौरा करते हैं और वादे करते हैं लेकिन चुनावों के बाद वे गांव की समस्याओं को भूल जाते हैं। यह गांव के विकास और समृद्धि के प्रति नेताओं की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े करता है।

गांव में फसलों की बर्बादी एक प्रमुख समस्या है जिससे किसान बेहद परेशान हैं। इसके बावजूद सरकार या नेताओं द्वारा इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार धरने दिए और अपनी समस्याओं को सरकार के सामने रखने की कोशिश की लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया।

गांव में बढ़ती लड़ाइयां भी एक गंभीर मुद्दा है जो सामाजिक अस्थिरता का संकेत है। ग्रामीणों का कहना है कि इन लड़ाइयों की जड़ें गरीबी बेरोजगारी और आर्थिक असमानता में हैं। अगर इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो स्थिति और बिगड़ सकती है।

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नशे के कारण गांव में हो रही मौतें भी ग्रामीणों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय हैं। नशे की बढ़ती समस्या ने गांव के युवाओं को अपनी चपेट में ले लिया है जिससे उनकी जिंदगियां बर्बाद हो रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि नशे की समस्या से निपटने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं और सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।

गांव में पानी की किल्लत भी एक बड़ी समस्या है जिससे ग्रामीणों का दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है। पानी की कमी ने खेती और पशुपालन जैसे प्रमुख कृषि कार्यों को भी प्रभावित किया है। इसके बावजूद पानी की समस्या का समाधान करने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किए गए हैं।

इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें ग्रामीणों द्वारा गोबिंद कांडा का विरोध किया जा रहा है। यह वीडियो न केवल भाजपा नेता बल्कि सरकार के प्रति भी ग्रामीणों की नाराजगी को उजागर करता है। ग्रामीणों का मानना है कि सरकार ने उनकी समस्याओं को हल करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जिससे उनका गुस्सा और बढ़ गया है।